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कॉलेज के आँगन तक पहुँचा- ओपन स्टेज
तीन साल से साठ साल तक के कलाकारों ने, पहली बार दी विभिन्न प्रस्तुतियाँ
शहर से 30 किलोमीटर दूर कच्ची-पक्की सड़कों को पार कर साठ कलाकार और कलाप्रेमी ओपन स्टेज का संदेश लेकर शहर के एक कॉलेज पहुँचे। ये पहला अवसर था, जब किसी कॉलेज में इस प्रकार का आयोजन किया गया।
कॉलेज के ओपन गार्डन में एकत्रित हो कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतितियों के साथ सभी तक यह संदेश पहुँचाया कि “हर किसी के अंदर, एक कलाकार है” और अगर आपको अपने भीतर के कलाकार से प्यार है, तो इसे कभी मरने मत देना। इसके लिए ही, स्टीरियर्स का ओपन स्टेज सभी को अपने अंदर छुपे कलाकार को बाहर लाने के लिए निशुल्क मंच हर सप्ताह देता है।
इस बार के ओपन स्टेज में तीन साल की कृष्ण बनी नन्ही सी गायिका आरिका काजल ने ‘छोटी-छोटी गैया’ गाकर सभी का मन मोह लिया तो मौजूदा कलाकारों में तजुर्बे में सबसे बड़े विजय जोशी ने ‘कहना है, तुमसे पहली बार’ गीत गाकर माहौल को प्रेम से भर दिया।
दस साल के यश मनोचा ने ‘जाऊँ तेरे चरण’ सुनाकर शास्त्रीय संगीत के ओज को प्रस्तुत किया।
और शुभम लाहिरी के ‘हमारी अधूरी कहानी’, मिहिर गर्ग के ‘ख़ामोशियाँ’, विकल्प के ‘हँसी बन गए’ के साथ कनक ठक्कर, ओम कुमावत, दीपक ठाकुर, अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने सुरीले नगमों की झड़ी लगा दी।
कवियों और शायरों के अलग अलग विषयों पर आधारित गीत, ग़ज़ल, शायरी, नज़्म… सुनने वालों को विभिन्न भावनाओं का एहसास करने का अवसर मिला। जिसमें हिमांशु मंगला वर्मा की ‘प्रेम मुरली बनी’, प्रशांत बारस्कर की ‘जरूरी तो नहीं’, अमोघ अग्रवाल की ‘अभिन्न अंग-मेरा बेटा, मेरा राज दुलारा’, निश्चय खिरे की ‘जब भी मैंने चोट खाई, माँ मुझे बस तेरी याद आई’, प्रवीण बुंदर की ‘इस बार मिलोगी तो बताऊंगा तुम्हें’, अंकिता पशीने की ‘अक्सर दूर जाने की बात’, लोकेंद्र शर्मा की ‘सरे आम बिकता रहा, ईमान बाजार में’ शामिल रहीं।
अन्य कलाओं में.. काजल सागर व आकंक्षा प्रसाद ने मेक-अप व लाइव फेस पेंटिंग की, आकाश और विवेक का ऊर्जा से भरा डांस, प्रशांत शर्मा की सवाल भरी कहानी ‘दो दरवाजो की उलझन’, मधुर रिछरिया का मोनो एक्ट ‘खुद से जीतने की ज़िद है’, ओ आई सी स्टूडियो की शिक्षा पर आधारित शॉर्ट फ़िल्म ‘चांदी की चम्मच’ और अभिमन्यु सेंगर की नारी शक्ति पर आधारित ‘सम्मान’ भी दिखाई गई।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण यथार्थ रंगमंच का बेटी बचाओ पर बनाया माइम एक्ट रहा, जिसे देखने वालों ने वन्स मोर की डिमांड कर डाली और इस सशक्त चित्रण ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया।